कुछ नैतिक कहानियां ऐसी होती है, जो सीधे हमारे मन में उतर जाती है। हमें इन कहानियों से काफी कुछ सिखने को मिलता है। ज्यादातर छोटे बच्चे अपने दादा – दादी और नाना – नानी से कहानियां सुनना पसंद करते है। आज हम इस लेख में Top 10 moral stories in hindi के बारे में जानेगे। जिन्हे पढ़ने के बाद आपको बहुत कुछ सिखने को मिलेगा। जब भी हम कहानियों के बारे में पड़ते है, तो हमें ज्यादातर कहानियां बच्चो से समन्धित पढ़ने के लिए मिलती है। क्योकिं एक छोटे बच्चो को कुछ भी समझाने के लिए कहानियों को सुनाना बहुत जरुरी है। क्योकिं बच्चे कहानियों को बहुत ध्यान से सुनते है।
अगर आप भी अपने बच्चो को कहानियां सुनना चाहते है, लेकिन अभी आपके दिमाग में नहीं आ रहा है कुछ तो आप निचे दिए गए किसी भी नैतिक कहानी (Short Moral Stories in Hindi) को पढ़ के सुना सकते हैं
Top 10 Moral Stories in Hindi (Short Moral Stories in Hindi)
आज हम यहाँ पर चिड़ियाँ की कहानी, जानवरो की कहानी, प्यासे कौए की कहानी और भी कई रोचक कहानियों के बारे में जानने वाले हैं और आपको अवगत कराने वाले है। मुझे पूरी उम्मीद है, की आपको यहाँ पर दी गयी सभी कहानियों से बहुत कुछ सिखने के लिए मिलेगा।यहाँ कई ऐसी कहानियां ऐसी होंगी जो बहुत मूल्यवान हैं और बच्चों को जीवन के सबक सिखाती हैं, जो आपके बच्चों को लोगों और दुनिया को समझने में मदद करते हैं
1 ) भेड़िया और सारस की कहानी
एक जंगल में एक भेड़िया रहता था। वह एक दिन एक शिकार करके एक जानवर को खा रहा था। खाते-खाते उस भेड़िये के गले में एक हड्डी अटक जाती है। बहुत कोशिश करने के बाद भी जब भेड़ियाँ अपने गले से उस हड्डी को नहीं निकाल पाता है। तब उसकी स्तिथि बहुत ज्यादा बुरी हो जाती है। अब वह बहुत परेशान हो जाता है। तभी अचानक उसे सामने एक सारस आता दिखाई देता है। उसकी लम्बी चोंच देखर भेड़ियाँ उस सारस से मदद मांगता है।
पहले तो सारा बहुत ज्यादा डरा हुआ सा रहता है, क्योकिं उसे एक भेड़ियें की मदद करना अच्छा नहीं लगता है। लेकिन जब भेड़ियाँ उससे बोलता है, की तुम मेरे गले में फांसी हड्डी को निकालो में तुम्हे इनाम दूंगा, तो इस पर सारस को लालच आ जाता है, और वह भेड़ियें की गले की हड्डी को अपनी लम्बी चोंच से निकल देता है। हड्डी निकल जाने के बाद भेड़ियाँ वहां से जाने लगता है।
यह देखकर सारस कहता है, मैंने तुम्हारे गले की हड्डी निकाली है, मेरा इनाम कहाँ है। यह सुनकर भेड़ियाँ सारस से कहता है, तुम्हारी गर्दन मेरे गले से सुरक्षित बहार आ गयी है। यही तुम्हारा इनाम है। इस बात से सारस को बहुत दुःख हुआ।
Moral of The Story
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है, की हमें कभी भी स्वार्थी लोगो के साथ नहीं रहना चाहिए। जिस व्यक्ति का कोई आत्मसम्मान नहीं होता है, उसकी सहायता करने पर बदले में किसी भी तरह के लाभ की अपेक्षा ना करें।
2) जादुई सोने का कुआँ – (Moral Stories in Hindi)
आसमान साफ़ नहीं था चारो और काले-काले बदल छाये हुए थे, कभी भी बारिश हो सकती थी। एक सुजाता नाम की लड़की थी। सुजाता बारिश शुरू होने से पहले जल्दी से जल्दी सनराइज अपार्टमेंट में पहुंचना चाहती थी। जिससे की वो बारिश में भीग ना जाए, क्योकिं सुजाता पिछले हफ्ते बारिश में भीगने की वजह से बीमार हो गयी थी। वो भागते भागते अपार्टमेंट तक पहुंच तो गयी, लेकिन बिच में बारिश होने लगी, और सुजाता ना चाहते हुए भी भीग गयी। जिसकी वजह से वह परेशां हो गयी वह सोचने लगी की इस बार अगर वह बीमार हुई तो भरी मुसीबत आ जाएगी।
सुजाता ने अपार्टमेंट पहुंचने पर दरवाजे की घंटी बजायी। कुछ देर तक दरवाजा खोलने के लिए कोई नहीं आया, सुजाता ने फिर से दरवाजे की घंटी बजायी, एक औरत ने दरवाजा खोला, उस औरत ने सुजाता को घूरते हुए पूछा क्या है? किस से मिलना है। सुजाता ने कहा जी में नेहा वाशिंग पाउडर कंपनी से आयी हूँ, और हमारी कंपनी अभी अपना प्रचार कर रही है, जिसकी वजह से यह वाशिंग पाउडर बहुत ही कम दामों में बेच रही है। इसकी कीमत सिर्फ 25 रूपये में आधा किलो है, हमारा वाशिंग पाउडर आपके महंगे से महंगे वाशिंग पाउडर से अच्छी सफाई करता है।
इतना कहकर सुजाता ने कहा की अगर आपके पास कोई गन्दा कपड़ा है, तो ले आइये में आपको अभी कपड़ा साफ़ करके डेमो दिखा देती हूँ। इस पर उस औरत ने मुँह बनाते हुए कहा, की मुझे नहीं चाहिए, यह तुम्हारा घटिया वाशिंग पाउडर और ना ही इसका डेमो चाहिए। इतना सुनकर सुजाता ने कहा मैडम आप एक बार डेमो तो देख लीजिये अगर आपको यह वाशिंग पाउडर पसंद नहीं आया तो आप मत लेना डेमो का कोई पैसा नहीं है।
सुजाता की बात सुनकर वह औरत बोली अरे !!! तुम कम सुनती हो क्या, नहीं चाहिए मतलब नहीं चाहिए। इतना कहकर उस औरत ने धाड़ाम से अपने घर का दरवाजा बंद कर लिया। सुजाता के चेहरे पर एक निराशा सी छाई हुई थी जो की उसके चेहरे पर साफ़ झलक रही थी। लेकिन उसने प्रयास करना जारी रखा। वह अपार्टमेंट के अन्य घरो में भी गयी, लेकिन इस अपार्टमेंट में सिर्फ एक ही औरत ने उसका वाशिंग पाउडर ख़रीदा बाकि लोगो ने उसको भगा दिया।
अब रात होने वाली थी, वह अपने घर वापिस लोट रही थी। सुजाता के दिमाग में एक ही बात बार बात घूम रही थी। जो उसके मैनेजर ने उसको कहा था, सुजाता के मैनेजर ने कहा था – की महीने का अंत चल रहा है, और तुम्हे 20 वाशिंग पाउडर बेचने का टारगेट दिया गया है, और तुमने अभी तक सिर्फ 3 ही पैकेट बेचे है। यह सुनकर सुजाता है, ने कहा की सर में वाशिंग पाउडर बेचने की पूरी कोशिश करती हूँ, लेकिन हमारी कंपनी नई होने की वजह से में लोगो को कन्वेन्स नहीं कर पाती है।
यह सुनकर सुजाता का मैनेजर कहता है, देखो हम किसी को भी फ्री की सैलरी नहीं देते है, अगर तुमने टारगेट पूरा नहीं किया तो हम तुम्हे नौकरी से निकल देंगे। यह सुनकर सुजाता ने कहा, सर ऐसा मत कहिये, क्योकिं इसी नौकरी के भरोसे मेरा घर चल रहा है। इस बात को सुनकर मैनेजर कहता है, यह सब में नहीं जानता अगर तुमने कल तक 20 वाशिंग पाउडर के पैकेट नहीं बेचे तो तुम्हे कल के बाद नौकरी पर आने की कोई जरुरत नहीं है।
लेकिन सुजाता टारगेट पूरा नहीं कर पायी, वह बहुत परेशान थी। वह मन ही मन सोच रही थी, की कल वह मैनेजर मुझे नौकरी से निकल देगा, फिर में कैसे गुड़िया और सुनीता का ध्यान रखूंगी। उसने भगवान् से कहाँ भगवान् मेरी मदद कीजिये। सुजाता के पति की कपड़े की एक छोटी सी दुकान थी, जो की बहुत अच्छी चलती थी। क्योकिं उसका पति ग्राहकों से बहुत प्यार से बात करता था।
अगर एक बार ग्राहक उसकी दुकान में आ जाते थे, तो कुछ भी ख़रीदे बिना नहीं जाते थे, चाहे कोई छोटी ही चीज क्यों ना ख़रीदे। सुजाता के पति महेश का बहुत ही अच्छा हस्ता खेलता परिवार था, लेकिन एक दिन अचानक महेश की दुकान में किसी शार्ट सर्किट की वजह से आग लग गयी। महेश भी उस समय दुकान के अंदर ही था, उसने बहार निकलने की बहुत कोशिश की लेकिन उस आग में कपड़ो के साथ वो भी झुलस गया था, जिसकी वजह से वह इस दुनिया में नहीं रहा था।
महेश के चले जाने के बाद दोनों बच्चो की जिम्मेदारी सुजाता के ऊपर आ गयी थी। पिछले आठ महीनो से सुजाता सेल्स की नौकरी कर रही थी, कभी टारगेट पूरा हो जाता था, तो कभी नहीं होता था। लेकिन इस बार सुजाता को टारगेट पूरा ना हो पाने की वजह से नौकरी से निकल दिया गया था। पिछले कई दिनों से वह एक नयी नौकरी की तालाश में थी, लेकिन उसे कोई भी काम नहीं मिल रहा था।
घर का किराया और बच्चो की फीस भी देनी थी, घर का राशन भी ख़त्म होने वाला था। आज जब सुजाता शाम को घर लोटी तो वह बहुत उदास थी। तभी उसकी बेटी ने कहा माँ क्यों उदास हो, चलो हमारे साथ खेलो ना। सुजाता ने कहा कुछ नहीं हुआ है, सब कुछ ठीक है। अब वह अपने मासूम बच्चो को कैसे बताती की वह क्यों उदास है। लेकिन बच्चो के जिद्द करने की वजह से सुजाता अपने बच्चो के साथ बॉल खेलने के लिए चली गयी।
बॉल खेलते खेलते बच्चो नो बॉल को इतनी तेज मारा की वह लुड़कते हुए झाड़ियों में चली गयी। उसकी बेटी ने कहा माँ बॉल झाड़ियों में चली गयी है, में लेकर आती है। आप गुड़िया के पास रहो में झाड़ियों से बॉल लेकर आती हूँ। सुनीता बॉल लेने के लिए झाड़ियों के पीछे चली गयी है, लेकिन तभी उसकी जोर जोर से आवाज आने लगी, माँ बचाओ, बचाओ। जैसे ही सुजाता ने सुनीता की आवाज सुनी, सुजाता और गुड़िया सुनीता की तरफ भागे।
जैसे ही सुजाता ने झाड़ियों के पीछे देखा, उसकी आँखे खुली की खुली रह गयी। झाड़ियों के पीछे एक गहरा सा कुआँ था, जिसमे सुनीता गिर गयी थी। सुनिया निचे से जोर जोर से बोल रही थी, माँ बचाओ में डुब रही हूँ। अचानक सुनीता कुँए में से गायब हो गयी, गुड़िया भी उसी कुँए में देख रही थी, अचानक गुड़िया का पैर फिसला और वह भी कुँए में गिर गई। गुड़िया भी कुँए से अपनी माँ को आवाज लगा रही थी, माँ बचाओं। यह सुनकर सुजाता के हाथ पाँव फूल गए उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था। इसलिए सुजाता भी कुँए में कूद गयी।
कुँए में कूदने के बाद सुजाता अपनी बेटियों को आवाज लगाने लगी, तभी उसका पैर पकड़ कर किसी ने उसे कुँए के अंदर खींचा। जहाँ पर वह एक दूसरी दुनिया में थी। वहां पर सभी कुछ सोने का था, सोने के जेवर, सोने की ईंट, और सोने के बिस्किट। तभी उसने देखा उसकी दोनों बेटियां भी सही सलामत वही पर बैठी थी।
जैसे ही दोनों बच्चो ने अपनी माँ को देखा वह अपने माँ के पास दौड़ी चली आयी। सुजाता ने कहाँ तुम दोनों ठीक हो मेरी बच्चियों, भगवान् का लाख लाख शुक्र है, की तुम दोनों ठीक हो। सुनीता और गुड़िया ने कहाँ हां मन हम दोनों बिलकुल ठीक है। उन्होंने अपनी माँ से पूछा, माँ यह कौन सो जगह है, यहाँ पर तो कोई भी इंसान नहीं नजर आ रहा है। और यह चारो और पीली पीली चीजे क्या है।
तभी वहां पर एक व्यक्ति प्रकट हुआ, जिसका आधा शरीर इंसान का था, और आधा शरीर पत्थर का, उसने कहाँ यह पीली चीजे सोना है सोना। यह सुनकर सुजाता चौंक गयी, बोली इतना सारा सोना, यहाँ कहाँ से आया और यह सोना किसका है। और यह कौन सी जगह है। यह सुनकर उस व्यक्ति ने, सुजाता को बताया की यह पाताल लोक है। और मेरा नाम अंगद सेन है, में पाताल लोक का निवासी हूँ।
मैंने एक बार लालच में आकर पाताल लोक के मंदिर से सोने की चोरी कर ली थी। कुछ दिन बाद यह बात वहां के पुजारी को पता चल गयी थी और उसने मुझे श्राप दे दिया, की वह पत्थर का बन जाएँ। जब पुजारी ने अंगद सेन को श्राप दिया तो वह पुजारी के पेरो में गिर गया और क्षमा मांगने लगा, बोलै मुझे माफ़ कर दो मुझे से बहुत बड़ी गलती हो गयी है। पुजारी ने कहा यह भूल नहीं पाप है, तुमने देवी के मंदिर से चोरी की है। अंगद सेन बोला मुझे इतनी बड़ी सजा मत दीजिये।
यह बात सुनकर पुजारी को दया आ गयी, पुजारी ने कहा में अपना श्राप तो वापिस नहीं ले सकता है। लेकिन तुम्हारा एक साल में एक बार पूर्णिमा के दिन आधा शरीर पहले की तरह आ जाएगा। और वह समय होगा, जब तुम किसी की मदद करोगे। तुम जैसे जैसे किसी की मदद करोगे तुम्हारा पाप कम होता जायेगा। और एक दिन तुम्हारा पूरा पाप खत्म हो जाएगा, और तुम पूरी तरह से अपने पूर्ण रूप में आ जाओगे।
आज पूर्णमासी थी, और अंगद सेन अपने पूर्ण रूप को पाने के लिए सुजाता की मदद करना चाहता था। अंगद सेन ने कहा मुझे तुम्हारी सारी परेशानी के बारे में पता है, इसलिए में तुम्हारी मदद करना चाहता हूँ। अंगद सेन ने सुजाता को 100 सोने की मोहरे दी और कहा, इससे तुम अपनी नई जिंदगी शुरू करो। इतना कहकर अंगद सेन फिर से पत्थर का बन गया।
कुछ देर बाद सुजाता अपनी दोनों बेटियों के साथ कुँए से बाहर थी, और वह कुआँ भी अब वहां से गायब हो गया। सुजाता ने सोने की सभी मोहरो को बेचा और अपनी एक कपड़े की दुकान खोली। थोड़े संघर्ष के बाद सुजाता की दुकान अच्छी चलने लगी। सुजाता आज अपना जीवन और अपनी दोनों बेटियों की पढ़ाई लिखे का सारा खर्चा उसी दुकान की कमाई से चलाती है।
Moral of The Story
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है, की हमें कठिन से कठिन समय में भी हिम्मत नहीं हारनी चाहिए। भगवान् हमेशा हमारे साथ है, बस आपको अपनी ईमानदारी से मेहनत करते रहना चाहिए। किसी ना किसी रूप में भगवान आपकी सहायता जरूर करता है।
3) चींटी और टिड्डे की कहानी – (Moral Stories in Hindi)
एक बार की बात है, एक टिड्डा और एक चींटी नदी के घास के मैदान में रहा करते थे। गर्मी के मौसम में जब चींटियाँ किसान के खेत से अनाज इकट्ठा करने में व्यस्त थीं, टिड्डा आलस्य में अपने दिन बिता रहा था। टिड्डे ने देखा कि चींटियाँ दिन भर खेतों से लगातार पीछे-पीछे अपने मालखाने की ओर आ-जा रही हैं और अपनी पीठ पर अच्छी तरह से संतुलित तरीके से खाद्यान्न ढो रही हैं। वे सुबह से शाम तक एक ही काम को दोहराते हुए वास्तव में कड़ी मेहनत करते थे।
इस घटना ने टिड्डे को चींटियों के पूरे गर्मियों में कड़ी मेहनत के बारे में सोचने पर मजबूर कर दिया। दूसरी ओर, टिड्डा गर्मी के दिन नितांत आलस्य और मौज-मस्ती में बिता रहा था। वह चारों ओर गाते और नाचते हुए बहुत खुश था, जबकि उसने चींटियों को भी आनंद लेने में शामिल होने के लिए कहा। लेकिन चींटियों ने मना कर दिया और अपने काम में लगी रहीं। इससे टिड्डा जोर से हसने लगा और वह चींटियों की इतनी मेहनत करने के लिए उनका मजाक भी उड़ाने लगा और उसने कहा था कि “पूरे गर्मी के मौसम के लिए पर्याप्त भोजन है।”
यह सुनकर चींटी ने कहा कि वह ठंड के मौसम के लिए कुछ खाना बचा रही है और टिड्डे को भी ऐसा ही करने की सलाह दी। टिड्डे ने उसकी बातों पर ध्यान नहीं दिया और लगातार गाता और नाचता रहा। शीघ्र ही ग्रीष्म ऋतु क्षीण होकर पतझड़ और पतझड़ से जाड़े में बदल गई।
बाहर बर्फ़बारी के कारण कड़ाके की ठंड हो गई थी और सूरज बमुश्किल दिखाई दे रहा था और रातें लंबी और अंधेरी थीं। ठण्ड के कारण, टिड्डे की गायन और मौज-मस्ती में रुचि समाप्त हो गई। वह ठंडा और भूखा था और उसके पास बाहर बर्फ से शरण लेने के लिए कोई जगह नहीं थी। वह सोच रहा था कि इस कठिन परिस्थिति से खुद को कैसे बचाया जाए। अचानक उसे चींटी की याद आई और वह कुछ खाने और रहने के लिए उसके पास गया। वह उसके घर गया और मदद के लिए उसका दरवाजा खटखटाया। जब उसने दरवाजा खोला, तो टिड्डे ने कुछ भोजन और आश्रय के बदले में उसके लिए गाने की पेशकश की।
इस पर चींटी ने जवाब दिया कि सर्दियों के लिए पर्याप्त भोजन बचाने के लिए उसने गर्मियों में कड़ी मेहनत की थी और उस समय टिड्डे ने उसका मजाक उड़ाया था। उसने धीरे से उसे कहीं और गाने और अपना भोजन और आश्रय कमाने के लिए कहा। यह तब था, टिड्डी को एहसास हुआ कि उसे गर्मियों के दौरान गाने और नाचने में आलसी होने के बजाय सर्दियों के लिए पर्याप्त बचत करनी चाहिए थी।
Moral of the Story:
इस कहानी से हमे सिख मिलती है की,हमें वर्तमान का आनंद लेते हुए भविष्य की चिंता भी करनी चाहिए।
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4) The Fox & the Grapes (Moral Stories in Hindi)
एक लोमड़ी ने एक दिन एक पेड़ की शाखाओं के साथ प्रशिक्षित बेल से लटके हुए पके अंगूरों का एक सुंदर गुच्छा देखा। अंगूर रस के साथ फटने के लिए तैयार लग रहे थे, और लोमड़ी के मुंह में पानी आ गया क्योंकि वह उन्हें लंबे समय से देख रहा था।
गुच्छा एक ऊंची शाखा से लटका हुआ था, और लोमड़ी को इसके लिए कूदना पड़ा। जब उसने पहली बार छलांग लगाई तो वह काफी दूर तक चूक गया। इसलिए वह थोड़ी दूर चला गया और दौड़ते हुए उस पर छलांग लगा दी, लेकिन एक बार फिर नीचे गिर गया। उसने बार-बार कोशिश की, लेकिन व्यर्थ।
अब वह बैठ गया और अंगूरों को घृणा की दृष्टि से देखने लगा।
“मैं क्या मूर्ख हूँ,” उन्होंने कहा। “यहाँ मैं अपने आप को खट्टे अंगूरों का एक गुच्छा पाने के लिए थका रहा हूँ जो इसके लायक नहीं हैं।”
Moral of the Story:
ऐसे बहुत से लोग हैं जो उनकी पहुँच से बाहर होने वाली चीज़ों को तुच्छ और तुच्छ समझने का दिखावा करते हैं।
5) शेर और चूहे की कहानी – (Short Moral Stories in Hindi)
जंगल में एक शेर सोया हुआ था, उसका विशाल सिर उसके पंजों पर टिका हुआ था। एक डरपोक छोटा चूहा अप्रत्याशित रूप से उस पर आया, और अपने डर और जल्दबाजी में शेर की नाक के पार भाग गया। अपनी झपकी से जागते हुए, शेर ने छोटे जीव को मारने के लिए गुस्से में अपना विशाल पंजा उस पर रख दिया।
“मुझे छोड़ दो!” गरीब चूहे से विनती की। “कृपया मुझे जाने दें और किसी दिन मैं निश्चित रूप से आपको चुका दूंगा।”
शेर यह सोचकर बहुत खुश हुआ कि एक चूहा कभी उसकी मदद कर सकता है। लेकिन वह उदार था और अंत में उसने चूहे को जाने दिया।
कुछ दिनों बाद, जंगल में अपने शिकार का पीछा करते हुए शेर एक शिकारी के जाल में फँस गया। स्वयं को मुक्त न कर पाने पर उसने अपनी क्रोध भरी गर्जना से वन को भर दिया। चूहा आवाज जानता था और जल्दी से शेर को जाल में संघर्ष करते हुए पाया। एक बड़ी रस्सियों में से एक की ओर भागते हुए जिसने उसे बांधा था, उसने उसे तब तक कुतरती रही जब तक वह अलग नहीं हो गई, और जल्द ही शेर मुक्त हो गया।
“तुम हँसे जब मैंने कहा कि मैं तुम्हें चुका दूंगा,” माउस ने कहा। “अब आप देखते हैं कि एक चूहा भी शेर की मदद कर सकता है।”
Moral of the Story:
दया कभी व्यर्थ नहीं जाती है।
6) उल्लू और ग्रासहॉपर
उल्लू हमेशा दिन के दौरान अपनी नींद लेता है। फिर सूर्यास्त के बाद, जब आसमान से गुलाबी रोशनी फीकी पड़ती है और लकड़ी के माध्यम से छाया धीरे-धीरे बढ़ती है, तो वह पुराने खोखले पेड़ से चिल्लाती और झपकी लेती है। अब उसका अजीब “हू-हू-हू-ऊ-ऊ” शांत लकड़ी के माध्यम से गूँजता है, और वह कीड़े और भृंग, मेंढक, और चूहों के लिए अपना शिकार शुरू करती है जिसे वह खाना बहुत पसंद करती है।
अब एक बूढ़ी उल्लू थी जो बड़ी होने के साथ-साथ बहुत चिड़चिड़ी हो गई थी और उसे खुश करना मुश्किल हो गया था, खासकर अगर किसी चीज ने उसकी दैनिक नींद में खलल डाला हो। एक गर्म गर्मी की दोपहर के रूप में वह पुराने ओक के पेड़ में अपनी मांद में सो रही थी, पास में एक टिड्डी ने एक हर्षित लेकिन बहुत कर्कश गीत शुरू किया। बूढ़े उल्लू का सिर पेड़ के उस छेद से बाहर निकला, जिसने दरवाजे और खिड़की दोनों के लिए उसकी सेवा की थी।
“यहाँ से चले जाओ, श्रीमान,” उसने ग्रासहॉपर से कहा। “क्या आपके पास कोई शिष्टाचार नहीं है? आपको कम से कम मेरी उम्र का सम्मान करना चाहिए और मुझे चुपचाप सोने के लिए छोड़ देना चाहिए!”
लेकिन ग्रासहॉपर ने बड़ी चतुराई से उत्तर दिया कि उसका धूप में अपने स्थान पर उतना ही अधिकार है जितना पुराने ओक में उल्लू का। फिर उसने एक ज़ोरदार और और भी तेज़ धुन बजाई।
बुद्धिमान बूढ़ा उल्लू अच्छी तरह जानता था कि इस मामले में न तो ग्रासहॉपर से बहस करने से कोई फायदा होगा और न ही किसी और से। इसके अलावा, उसकी आँखें दिन में इतनी तेज नहीं थीं कि वह ग्रासहॉपर को उसके लायक सजा दे सके। इसलिए उसने सारी कठोर बातें एक तरफ रख दीं और उससे बहुत प्यार से बात की।
“ठीक है साहब,” उसने कहा, “अगर मुझे जागते रहना है, तो मैं आपके गायन का आनंद लेने के लिए बसने जा रही हूं। अब जब मैं इसके बारे में सोचती हूं, तो मेरे पास यहां एक अद्भुत शराब है, मुझे ओलंपस से भेजा गया है, जिसमें से मैं हूं उच्च देवताओं के लिए गाने से पहले अपोलो से कहा कि वह पीता है। कृपया ऊपर आएं और मेरे साथ इस स्वादिष्ट पेय का स्वाद चखें। मुझे पता है कि यह आपको स्वयं अपोलो की तरह गाने को मजबूर कर देगा।
मूर्ख टिड्डा उल्लू के चापलूसी भरे शब्दों के बहकावे में आ गया। ऊपर वह उल्लू की मांद में कूद गया, लेकिन जैसे ही वह काफी करीब आया ताकि बूढ़ा उल्लू उसे स्पष्ट रूप से देख सके, वह उस पर झपटा और उसे खा गया। Source
Moral of the Story:
चापलूसी सच्ची प्रशंसा का प्रमाण नहीं है। किसी दुश्मन के खिलाफ चापलूसी को अपने पहरे से दूर न होने दें।
7) दो बकरियां – (Short Moral Stories in Hindi)
एक बार की बात है, एक गाँव में एक बड़ी नदी थी जो एक गहरी खाई को काटती थी। शहर के लोगों ने कभी-कभी नदी को पार करने के लिए नदी पर एक छोटा, संकरा पुल बनाया। पुल संकरा होने के कारण एक बार में केवल एक व्यक्ति ही इसे पार कर सकता था। एक दिन एक बकरी पुल पार कर रही थी। पुल के दूसरे छोर पर उसने देखा कि विपरीत दिशा से एक और बकरी आ रही थी। चूँकि पुल पर एक समय में केवल एक ही व्यक्ति बैठ सकता था, इसलिए दोनों बकरियों के लिए एक साथ इसे पार करना असंभव था।
बकरियां अपनी जगह पर खड़ी रहीं और दूसरे के पीछे हटने का इंतजार करने लगीं। लेकिन दोनों में से कोई भी दूसरे को जाने देने के लिए पीछे हटने को तैयार नहीं था। पहली बकरी ने फिर कहा, ‘मैं बड़ी बकरी हूं, इसलिए आप मुझे पहले जाने दें।’ दूसरी बकरी ने मना कर दिया और कहा, ‘मैं मजबूत हूं, इसलिए मैं तेजी से पुल पार कर सकती हूं।’ तुम केवल इसलिए चलोगे क्योंकि तुम बूढ़े हो।
पहली बकरी ने दूसरे की बात को बुरा माना और जारी रखा, ‘हालाँकि मैं बूढ़ा हूँ, मैं तुमसे ज्यादा ताकतवर हूँ।’ दूसरी बकरी यह स्वीकार नहीं करना चाहती थी, और जल्द ही दोनों बकरियाँ एक-दूसरे को साबित करने के लिए आपस में भिड़ गईं। अन्य उनकी ताकत।
संकीर्ण पुल पर बकरियों ने सींगों को बंद कर दिया और जमकर लड़ाई की। कुछ ही देर में उनका संतुलन बिगड़ गया और वे नदी में जा गिरे। तेज धारा बकरियों को बहा ले गई, जिससे वे डूब गईं और गहरे पानी में गायब हो गईं।
घटना के बाद दो अन्य बकरियां भी इसी तरह की स्थिति में आपस में भिड़ गईं। इन बकरियों में इस बात को लेकर भी बहस हो गई कि पुल को पहले कौन पार करे। बस जब ऐसा लग रहा था कि चीजें बदतर हो जाएंगी, तो बकरियों में से एक ने बहस बंद कर दी। उसने कहा, ‘रुको! यह पुल हमारे विवाद को लड़ाई से सुलझाने के लिए बहुत संकरा है। अगर हम इसे जारी रखते हैं, तो हम दोनों नदी में गिरेंगे और मर जाएंगे। मेरे पास एक योजना है।’
बुद्धिमान बकरी योजना की व्याख्या करने लगी । उसने कहा, ‘जब तक तुम मेरे ऊपर से चलोगे, मैं पुल पर लेट जाऊंगा। इस तरह, हम दोनों इसे दूसरे छोर तक बना सकते हैं।’ दूसरी बकरी इस विचार के पीछे के तर्क को समझ गई और महसूस किया कि यह करना समझदारी है। उसने ठीक वैसा ही किया जैसा पहले बकरे ने कहा था, और दोनों ने सुरक्षित पार कर लिया।
Moral of the Story:
हठ करके विपत्ति में आने से अच्छा है झुक जाना।
8) जंगली सूअर और लोमड़ी – (Short Moral Stories in Hindi)
क जंगली सूअर अपने दाँतों को तेजी से एक पेड़ के ठूंठ पर तेज कर रहा था कि तभी एक लोमड़ी आ गई। अब लोमड़ी हमेशा अपने पड़ोसियों का मज़ाक उड़ाने के मौके की तलाश में रहती थी। इसलिए उसने उत्सुकता से देखने का एक शानदार प्रदर्शन किया, जैसे कि किसी छिपे हुए दुश्मन के डर से। लेकिन सूअर अपने काम में लगा रहा।
“तुम वो क्यों कर रहे हो?” फॉक्स ने आखिर में मुस्कराहट के साथ पूछा। “मुझे कोई खतरा नहीं दिख रहा है।”
“सच है,” सूअर ने उत्तर दिया, “लेकिन जब खतरा आएगा तो इस तरह के काम के लिए समय नहीं होगा। मेरे हथियारों को तब उपयोग के लिए तैयार रहना होगा, या मुझे इसके लिए भुगतना पड़ेगा।”
Moral of the Story:
युद्ध की तैयारी शांति की सबसे अच्छी गारंटी है।
9) The Stag & His Reflection – (Short Moral Stories in Hindi)
एक हिरन, एक क्रिस्टल वसंत से पी रहा था, उसने खुद को साफ पानी में देखा। वह अपने सींगों के सुंदर मेहराब की बहुत प्रशंसा करता था, लेकिन उसे अपनी कताई टांगों पर बहुत शर्म आती थी।
“यह कैसे हो सकता है,” उसने आह भरी, “कि मुझे ऐसे पैरों से शापित होना चाहिए जब मेरे पास इतना शानदार मुकुट है।”
उसी क्षण उसे एक तेन्दुए की गंध आई और वह एक पल में जंगल से होकर दूर जा रहा था। लेकिन जैसे ही वह दौड़ा, उसके बड़े-बड़े सींग पेड़ों की शाखाओं में फंस गए और जल्द ही पैंथर ने उसे पकड़ लिया। तब हरिण ने देखा कि जिन पैरों से वह इतना लज्जित था, वे उसे बचा सकते थे यदि उसके सिर पर बेकार के आभूषण न होते।
Moral of the Story:
हम प्राय: अलंकारिक वस्तुओं का अधिक उपयोग करते हैं और उपयोगी वस्तुओं से घृणा करते हैं।
10) मुर्गा और शातिर लोमड़ी – (Short Moral Stories in Hindi)
एक उज्ज्वल शाम जब सूरज एक शानदार दुनिया पर डूब रहा था, एक बुद्धिमान बूढ़ा मुर्गा एक पेड़ में बसेरा करने के लिए उड़ गया। इससे पहले कि वह आराम करने के लिए तैयार होता, उसने अपने पंखों को तीन बार फड़फड़ाया और जोर से बाँग दी। लेकिन जैसे ही वह अपने पंख के नीचे अपना सिर रखने वाला था, उसकी मनकी आँखों ने लाल रंग की एक चमक और एक लंबी नुकीली नाक की झलक पकड़ी, और वहाँ उसके ठीक नीचे मास्टर फॉक्स खड़ा था।
“क्या आपने अद्भुत समाचार सुना है?” लोमड़ी बहुत ही हर्षित और उत्साहित तरीके से रोई।
“क्या ख़बर है?” मुर्गा ने बहुत शांति से पूछा। लेकिन उसके अंदर एक विचित्र, फड़फड़ाहट का भाव था, क्योंकि, आप जानते हैं, वह लोमड़ी से बहुत डरता था।
“तुम्हारा परिवार और मेरा और अन्य सभी जानवर अपने मतभेदों को भुलाकर अब से हमेशा के लिए शांति और दोस्ती में रहने के लिए सहमत हो गए हैं। ज़रा इसके बारे में सोचो! मैं बस तुम्हें गले लगाने के लिए इंतजार नहीं कर सकता! नीचे आओ, प्यारे दोस्त, और हमें जश्न मनाने दो हर्षित घटना। ”
“कितना भव्य!” मुर्गा ने कहा। “मैं निश्चित रूप से इस खबर से खुश हूं।” लेकिन वह अनुपस्थित तरीके से बोला, और टिपटो पर फैला हुआ, ऐसा लग रहा था जैसे वह कुछ दूर देख रहा हो।
“यह क्या देख रहे हो?” फॉक्स से थोड़ा उत्सुकता से पूछा।
“क्यों, मुझे ऐसा लग रहा है जैसे दो कुत्ते इस तरफ आ रहे हैं। उन्होंने अच्छी खबर सुनी होगी और-”
लेकिन फॉक्स ने और सुनने का इंतजार नहीं किया। वह एक रन पर शुरू हुआ।
“रुको,” मुर्गा रोया। “तुम क्यों भागते हो? कुत्ते अब तुम्हारे दोस्त हैं!”
“हाँ,” फॉक्स ने उत्तर दिया। “लेकिन उन्होंने शायद खबर नहीं सुनी होगी। इसके अलावा, मेरा एक बहुत महत्वपूर्ण काम है जिसे मैं लगभग भूल चुका था।”
मुर्गे ने मुस्कराते हुए अपने सिर को पंखों में दबा लिया और सो गया, क्योंकि वह एक बहुत ही चालाक दुश्मन को मात देने में सफल रहा था।
Moral of the Story:
चालबाज को आसानी से बरगलाया जा सकता है।