राज्य सरकार किसी आईएएस अधिकारी को सस्पेंड या उसका ट्रांसफर कर सकती है. बर्खास्तगी का अधिकारी राज्य सरकार के पास नहीं है. एक आईएएस अधिकारी की नियुक्ति राष्ट्रपति करता है. सरकार उसको भारतीय गजट में अधिसूचित करती है इसलिए ये अधिकारी गजेटेड अधिकारी भी कहलाते हैं. इसका मतलब है कि राष्ट्रपति के सिवाय इन अधिकारियों को कोई भी बर्खास्त नहीं कर सकता. राज्य सरकार भी इनको सिर्फ निलंबित ही कर सकती है.
बर्खास्तगी का अधिकार राज्य सरकार के पास भी नहीं है. आईएएस अधिकारी के सेवा नियम और बर्खास्तगी के नियम संविधान के अनुच्छेद 311 में मौजूद हैं. इसके मुताबिक कोई भी शख्स जो संघ की सिविल सेवा या अखिल भारतीय सेवा का या राज्य की सिविल सेवा का सदस्य होता है उसकी नियुक्ति करने वाली अथॉरिटी के अलावा कोई अथॉरिटी उसे पद से हटा नहीं सकती. इन अधिकारियों को जांच के बाद आरोप साबित होने पर और उन आरोपों के संबंध में सुनवाई का उचित मौका देने के बाद ही निलंबित या बर्खास्त किया जाता है.
आईएएस के पास राजनेताओं को निलंबित करने की कोई शक्ति नहीं है लेकिन वे अपनी शक्तियों के माध्यम से राजनेताओं को जमीन पर उतार सकते है
अलाप्पुझा कलेक्टर के रूप में कार्रवाई
अगस्त 2017 में, T.V अनुपमा ने अलाप्पुझा के 48वें जिला कलेक्टर के रूप में कार्यभार संभाला। कार्यभार संभालने के तुरंत बाद उन्होंने मीडिया से कहा था कि वह लोगों की समस्याओं का अध्ययन करेंगी और उनके समाधान के लिए हर संभव प्रयास करेंगी.
लेकिन केरल के परिवहन मंत्री थॉमस चांडी, जो एक व्यवसायी से राजनेता बने हैं, ने शायद सपने में भी नहीं सोचा था कि जिले के लिए अनुपमा की योजनाएं उनके राजनीतिक करियर के लिए इतनी परेशानी खड़ी कर देंगी।
फर्म के आईएएस अधिकारी को चांडी के खिलाफ राजस्व प्रधान सचिव पी एच कुरियन को रिपोर्ट सौंपने में केवल महीनों का समय लगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि अलाप्पुझा में मार्तंडम झील के हिस्से को मंत्री के लेक पैलेस रिज़ॉर्ट के निर्माण के लिए समतल किया गया था। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि रिसॉर्ट के लिए पार्किंग स्थल बनाने के लिए धान के खेत को समतल किया गया था। इसने केरल धान भूमि और आर्द्रभूमि अधिनियम के उल्लंघन में मंत्री की सहायता करने और रिसॉर्ट के लिए सड़क बनाने और बनाने के लिए विभिन्न अधिकारियों पर उंगली उठाई
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अलाप्पुझा जिले में अपने रिसॉर्ट के लिए भूमि संबंधी विभिन्न कानूनों के उल्लंघन और बैकवाटर के अतिक्रमण के आरोपों के बाद नवंबर में चांडी को सीपीएम के नेतृत्व वाले वाम लोकतांत्रिक मोर्चा मंत्रिमंडल से इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया गया था।
टीवी अनुपमा, अलाप्पुझा और केरल ने एक आईएएस अधिकारी को अपना काम करने के लिए दृढ़ संकल्पित किया है क्योंकि वह फिट दिखती है, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि उसके रास्ते में कौन या क्या खड़ा है।
किसी IAS अधिकारी को निलंबित करने की क्या प्रक्रिया होती है? | Suspension Proccess of an IAS officer
कैडर अधिकारियों को एक कैडर से दूसरे कैडरों में भेजने का काम केंद्र सरकार राज्य सरकार के परामर्श से करती है. केंद्र सरकार संबंधित राज्य सरकारों की सहमति से, एक कैडर के अधिकारी का ट्रांसफर दूसरे कैडर में कर सकती है. किसी राज्य के मुख्यमंत्री को आईएस को सस्पेंड करने का तो अधिकार है लेकिन उसे सस्पेंड करने का कारण उसकी कैडर कंट्रोलिंग अथॉरिटी को भेजना होगा. वो ही उसका फैसला लेगा और चाहे तो सस्पेंशन को हटा भी सकता है.
बतादें कि आईएएस, आईपीएस, आईएफएस( भारतीय वन सेवा ) ये तीनों सेवाए अखिल भारतीय सेवाए है जिनके कैडर कंट्रोलिंग ऑथिरिटी भारत सरकार के विभाग है. जैसे आईएएस की DOPT, आईपीएस की गृह मंत्रालय और आईएफएस की इन्वाइरनमेंट एंड फारेस्ट मिनिस्ट्री है. कैडर कंट्रोलिंग ऑथिरिटी को ही इन्हें पद से हटाने और अनुशासनात्मक कार्यवाही करने का अधिकार है.
2015 में केंद्र सरकार के एक नए नियम के मुताबिक अब किसी भी आईएएस या आईपीएस अधिकारी को एक हफ्ते से ज्यादा निलंबित नहीं रखा जा सकेगा. हालांकि जहां राज्य सरकारों की समीक्षा समिति ने इसकी पहले से अनुमति दी हो, उस स्थिति में ये नियम लागू नहीं होगा.
एक IAS अधिकारी पूरे जिले में सबसे ज्यादा प्रभावशाली व्यक्ति होता है. वो जिले के हर वभाग का मार्गदर्शन करता है चाहें वो पुलिस विभाग हो या स्वस्थ्य विभाग. केंद्र में भी सभी मंत्रालयों के सचिव IAS अधिकारी ही होते हैं चाहें मंत्रालय कोई भी हो. आईएएस अधिकारी का काम अपने क्षेत्र में तैनात होने के बाद सरकारी नीतियों को लागू करना है. जो कि एसडीएम, एडीएम, डीएम सब मिलकर करते हैं. इसके साथ ही सरकार के बीच मध्यस्थता के रूप में कार्य करते हुए दैनिक मामलों का संचालन करना है.